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कोई एक न हो तो सबसे कहो

कोई एक न हो तो सबसे कहो इंसान न सही रब से कहो  पर कहां से शुरू करू कबसे कहूं ये बात जेहन में है उस रात से गर कहूं। परेशान मन है बैचेन ये धड़कने भी  मुश्किल है हर पल लम्हों की अटकलें भी  दिन की गुजर बसर है पर रात की कोई खबर नहीं…

कोरे कागज

इन कोरे कागजों को किससे भरू लिखूं इसमें प्रेम अपना  या लिखूं अपना हृदय घात लिखूं इसमें उद्वेग अपना या लिखूं अपना जीवन स्वाद। कुछ पंक्तियों की आहटो से  मन को मै कुछ पल विचलित करू  विचारों के गहरे भवर में डूब जाने से अब न डरूं। ग…

चांद और चांदनी

ये चांद और इसकी चांदनी जितनी खूबसूरत है  उतनी ही खुद से खुद पे ही मोहित  चाहती है चांद रात को हम निहारे सारी रात इसे जागे बैठे हुए उस खुले आसमां के नीचे से । बातें करे इससे  समझ की वो ही हमारा अजीज है और वो ही हमारा हमदम। और नह…

यूंही ...5

जिंदगी की कहानियों में नया मोड़ आते हुए बेहद करीब से देखा है मैने,जज्बातों की इतनी तीव्र हलचल जो संभाले न संभालती हो । कैसे कर सकती हूं मैं फिर अपनी जिंदगी के कुछ ज्यादा न सही थोड़े से ही दूरगामी सफर की कल्पना ? कल्पनाएं भी पूछ…

यूंही ...४

जो ये मसले न हो तो लेख न हो आखिर यही तो होते है जो लिखने की विवशताओ को सामने लाते है , शब्दो से जो नाता एक बार जुड़ जाता है वो टूटते नही टूटता । लेकिन गर ये न हो तो जेहन की वो खालिश पूरी ही न हो जो राहत ये अपने कहीं दर्ज होने क…

यूंही...३

जब हम अकेले होते है तब मालूम पड़ता है की हमारे जो भी पुराने खयालात थे या हमारी कुछ वो दूर पड़ी यादों की तस्वीरे थी वो असल में हमारे नजदीक ही है बस उस तलक की नजर कुछ धूमिल कर देती है लोगो की हमारे आस पास उपस्थिति , अकेलापन कितना…

यूंही ...(२)

हमारा मन अपने पसंदीदा शख्स के साथ वक्त न बिता पाने पर उसके साथ हो पाने की हर संभावना को अपने मन में बुनता रहता है ।कितना आशावादी हो जाता है हमारा मन शायद बस उस एक शख्स के लिए। लेकिन वास्तविकताएं कुछ और ही होती है जो उन संभावनाओ…

यूंही...(1)

हर कहानी का इकतरफा दौर आते देखा है मैने ,पर मेरे ही हिस्से क्यूं?  इस बात से शिकायत है मुझे। शिकायत है तो दूर भी होनी चाहिए किसी न किसी बहाने से गुम होनी चाहिए लेकिन ये रहती है यहीं मेरी होके। आखिरकार मान लेते है जिंदगी के कई प…

Poore hoke bhi Khali se lamhe

Kuch lamhe pure hoke bhi Sung ek khali pan liye hote hai Aisa bs mera hi manna h ya, Wo asal m ye khyal hme diye hote hai. Un lamho k ye khyal Mujhko kuch anjane alfaz de jaya krte hai, Bs fir is waqt ka apna hissa Mujhse kahin d…