यूंही ...(२)
हमारा मन अपने पसंदीदा शख्स के साथ वक्त न बिता पाने पर उसके साथ हो पाने की हर संभावना को अपने मन में बुनता रहता है ।कितना आशावादी हो जाता है हमारा मन शायद बस उस एक शख्स के लिए। लेकिन वास्तविकताएं कुछ और ही होती है जो उन संभावनाओं से खासा दूर अपना घर लिए होती है ,उनको स्वावलंबी बना कर उन संभावनाओं तक ले चलना ही जिंदगी के किसी दौर का इंतजाम रहता है।
©शिवांगी
#यूंही
2 Comments
True
ReplyDeleteYes 🥰
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