यूंही ...5
जिंदगी की कहानियों में नया मोड़ आते हुए बेहद करीब से देखा है मैने,जज्बातों की इतनी तीव्र हलचल जो संभाले न संभालती हो । कैसे कर सकती हूं मैं फिर अपनी जिंदगी के कुछ ज्यादा न सही थोड़े से ही दूरगामी सफर की कल्पना ? कल्पनाएं भी पूछती है मुझसे की कुछ बात अपने अनुभवों की भी रख लो जो देखें है तुमने ,जो कि जिए है तुमने सवेरे की पहली किरण से रात के उस आखिरी अंधकार तक ।हम नही रच सकते कुछ नया ,तुम्हे खुद हर कदम चल-चल बनाना होगा अपने रास्तों को । तय करनी होगी हर दूरी बस अनजान राही बनकर ।
©Shivangi
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