यूंही...३
जब हम अकेले होते है तब मालूम पड़ता है की हमारे जो भी पुराने खयालात थे या हमारी कुछ वो दूर पड़ी यादों की तस्वीरे थी वो असल में हमारे नजदीक ही है बस उस तलक की नजर कुछ धूमिल कर देती है लोगो की हमारे आस पास उपस्थिति , अकेलापन कितना भयावह है ये इस वक्त ठीक से मालूम पड़ता है और इसके फिर से न आने की ख्वाइश भी मुकम्मल हो जाने की उम्मीद ।
©Shivangi
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