दिन भर बीत जाए इस ऊहापोह में की ये क्यों नही मेरे संग रात भर गुजर जाए इस मोह में की मैं ही क्यों खुद के संग मध्य का हर पहर गवाह इस राज का के कैसे हर शाम रहती मेरे रंग । सवेरे की रोशनी मन मोह लेती बिखर के अपने ही ढंग। फिर भी क…
दिन भर बीत जाए इस ऊहापोह में की ये क्यों नही मेरे संग रात भर गुजर जाए इस मोह में की मैं ही क्यों खुद के संग मध्य का हर पहर गवाह इस राज का के कैसे हर शाम रहती मेरे रंग । सवेरे की रोशनी मन मोह लेती बिखर के अपने ही ढंग। फिर भी क…
ये खुला आसमां और मैं संग में तारों की महफ़िल और आंखों से अनगिनत बातों की लंबी सी फेहरिस्त होती तय। कुछ किस्से गम के जुड़ते कुछ कहानियां खुशी की ज़रा खामोशियां भी शामिल थी और बेबाक अंदाज़ की रवानी भी। रात का अंधकार तारों की रोशन…
किसी पे निर्भर ना होकर भी कहीं बन्धे रहना बंदिशों के अभाव में भी वही रहना आखिर इन सब से बाहर निकलकर उड़ते रहना हर किसी के बस की बात नहीं होती। पहरा नहीं है कोई द्वार पे फिर भी ये कैसी रोक है उद्धार पे विचार है उलझे से मझधार पे…
जितना छोटा मां शब्द है उससे कहीं ज्यादा, बड़े इसके एहसास है खुशनसीब है वो सब मां जिन -जिन के पास है. हमारे बचपन से लेकर अपनी आखिरी सांस तक, चलना वो हमको सिखलाती है उलझन से भरे सफर में भी सुलझन की राह दिखलाती है. उसकी कुछ एक डां…
कोरे से पन्ने और लिखने को अंबार है लेकिन क्या ही लिखूं ये खयाल जेहेन में आता हर एक बार है। ना अब ये तेरी शुरुआत है ओर ना ही कोई अंत ये सफर है कुछ दिनों पुराना सा तो रखा कर बेचैनियों को जरा शांत। हां खोए बहुत से नायाब पन…
लाल सी पोशाक में कहीं खड़े किनारे ताक में आंखो को करके बड़ा सा छुप के रही थी झांक मै। सामने खड़ी तुम मेरी नजरो के किनारे मेरी एक तस्वीर ले ली मुझसे बिन पूछे इत्तेफ़ाक़ में अब देखो कोई निहारेगा इसको तो कैसे बचूंगी मै कि…
Jab tum safed salwar kameez mai Yun sadharan si aadao sung Baitha krti ho to such btaun Tum bhut jchti ho. Ek halki si muskan or Sadgi si aankhein Na jane ye us waqt kinhe hi taake Meri zindgi khil uthi hai Tumhe apne pass…
K uch khas se shbdo pr Ab apne zazbaat Zahir Kr hi nhi pati Shabd hi nhi milte Dil k wo tar hi nhi hilte Kuch fate hue panne Chahte hue bhi mujhse nhi silte. Kya ye ab ant hai Meri us khas si likhavat ka Ya chhaya smaa hai …
खाली से पल न नजर में ना कोई हल चाहत भी नहीं कोई की ये रास्ता लूं बदल राहों में है मै और मेरे ख्वाबों का दल मंज़िल पे मिलेंगे मै अपने ओर तू अपने रास्ते चल। बंदिशे भी आएंगी रास्तों में बस उनसे सम्भल जाना …