Aaj bahut waqt baad
आज बहुत वक्त बाद
बीच अंधेरे की तादाद
सारे ख्यालों के बाद
मुझे आई तेरी वो याद।
वो लम्हा था आंखों के सामने
जो लगा था उस पल को थामने
एक चेहरा भी था पहचान मे
पहर की रोशनियां लगी थी उसकी शान मे।
कोई अज़ीज़ ही होगा वो
जो ख्यालों की भीड़ से खुद का इल्म निकाल लाया
बस उस एक ख्याल के बाद
मैने फिर किसी का ना मयाल पाया
लेकिन बस याद ही थी वो
कोई मरहम सा किसी घाव पे नही
वक्त की आंधियों ने उस शख्स की
फिजाओं को मेरी जिंदगी में किसी
उमींदी की रवाओं से दूर सा कर दिया कहीं।
बस बाकी है तो ये अल्फाज जो आज भी
उस शख्सियत से मेरे इस आज के इंतजामों की कैफियत को इर्ताला करने बिखर जाते है उस पुरानी किताब की बिसात पर।
#wordsplay
©Shivangi
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