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हिंदी दिवस

आज हिंदी भाषा का दिन है
लेकिन हमारा हर पल वैसे भी
होता कहां इसके बिन है।
पर आज ज़रा बस
इसको थोड़ा और महत्व दे जाना है
जो कुछ भी पाया है इससे
वो उसको दिए बिना न कहीं जाना है।

जिंदगी की शुरुआत से लेकर
इसके अंतिम समय तक
यूं तो हम कई पड़ावों से होकर गुजरते है
लेकिन उन सब में हमारी प्रतिक्रिया
हमारे भाव और विचार
हिंदी के ही इर्द-गिर्द कहीं सज संवरते है,
चाहे वो हो एहसास प्यार का
या हो चले जाना किसी यार का
समझानी हो किसी को अपने
काम-काज की कोई बातें या हो
परिवार की वो खट्टी-मीठी मुलाकातें
हिंदी के बिना हम कहां ही
अपने असल अस्तित्व को कभी पा पाते।

ये तो मां की डांट की तरह
हमारे जहन की सारी खामियों को 
हमसे कहीं दूर कर जाने में
दिन के हर पहर में तत्पर है
इन्हीं सब प्रयासों का परिणाम है
की हम आज विश्व में
एक अलग ही कीर्तिमान पथ पर है।

#शिवांगी

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